एहसास
तुम्हारे होने का एहसास
बहुत कुछ कह जाता है मुझसे
वो हंसी ठिठोली , वो मीठापन
कुछ दे जाता है जैसे
निश्छल भावों से वो तेरा
अंतर्मन तक कुछ कह जाना
फिर हौले से मुझसे सटकर
भीगी पलकों से मुस्काना
हर लम्हें को यूँ सच पूछो
इतना भीतर तक जीती हूँ
तुम मुझमें हो या मैं "तुम" हूँ
प्राणों से पूछा करती हूँ .............
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