tag:blogger.com,1999:blog-1049536942836422181.post7432946912693669962..comments2023-04-07T19:36:15.195+05:30Comments on उर की विह्वलता: नियति...उर की विह्वलताhttp://www.blogger.com/profile/14764051195341423638noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1049536942836422181.post-55713155726376228952011-04-20T12:44:06.538+05:302011-04-20T12:44:06.538+05:30"जीवन इसी का नाम है
रूकती नहीं कभी ये गति
सह..."जीवन इसी का नाम है <br />रूकती नहीं कभी ये गति<br />सहज मूंदकर पलकें<br />जो मिट गया वह जी गया<br /><br />पंथ पर छोड़ दिए हैं <br />मैंने कुछ पदचिन्ह <br />विनाश ही गढ़ता है <br />सृजन की दास्ताँ..."<br /><br />सब कुछ जानते और समझते हुए भी जीवन के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण ही हमें उर्जावान बनाये रखता है. इसी में जीवन की सार्थकता है - अति सुंदरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1049536942836422181.post-46243041618454778882011-04-17T15:26:06.244+05:302011-04-17T15:26:06.244+05:30बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्म...बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.<br /> यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.<br /><a href="http://blostnews.blogspot.com/" rel="nofollow">मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.</a>हरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1049536942836422181.post-60467556194194401452011-04-09T21:42:56.257+05:302011-04-09T21:42:56.257+05:30bahut acchi si kavita hai.maine aap ki kush line a...bahut acchi si kavita hai.maine aap ki kush line aap ki orkut mai daali hai . sorry agar ap ko acchi na lageramhttp://www.orkut.co.in/Main#Profile?uid=4298162932781216965noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1049536942836422181.post-67034241933375814242011-04-07T18:41:51.645+05:302011-04-07T18:41:51.645+05:30कविता अनुभव कराती है कि हिंदी की सजीवता अभी भी तर...कविता अनुभव कराती है कि हिंदी की सजीवता अभी भी तरो ताज़ी है. कई बार लगता है की मन में पड़ी गांठो का खुलना अभी बाकी है, कवि का मन जाने क्यों भाग रहा है, बार बार दुखी मन की झलक शब्दों में उतरती दीख पड़ती है, परन्तु साथ में कुछ पंक्तियाँ उसकी उर्जा को प्रतिबिम्बित भी करती है. पढने के बाद बहुत अच्छा लगा.....Anoop Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16983546499881912021noreply@blogger.com